26 नवंबर को दिल्ली की सीमाओं पर पहुँचे थे किसान. इस आंदोलन को आज 4 महीने पूरे हो गए हैं. हालांकि पंजाब और हरियाणा में कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ प्रदर्शन इससे भी पहले शुरू हो गए थे.
दिल्ली की सीमाओं पर चल रहे किसान आंदोलन को आज यानी 26 मार्च को चार महीने पूरे हो गए हैं. बीते साल 26 नवंबर से किसान दिल्ली की सीमाओं पर डटे हैं. आंदोलन के चार महीने पूरे होने पर संयुक्त किसान मोर्चा ने आज भारत बंद का ऐलान किया है. यह भारत बंद सुबह 6 बजे से शाम 6 बजे तक किया जाएगा.
संयुक्त किसान मोर्चा के आह्वान पर देश के तमाम किसान संगठनों, मज़दूर संगठनों, छात्र संगठनों और राजनीतिक दलों ने भी समर्थन किया है. भारत बंद के दौरान संयुक्त किसान मोर्चा की तरफ़ से ऐलान किया गया है कि इस बंद के तहत सभी दुकानों, मॉल, बाज़ार और संस्थान बंद रहेंगे. साथ ही तमाम छोटी और बड़ी सड़कों के साथ ही रेल सेवा भी जाम की जाएगी. एंबुलेंस व अन्य आवश्यक सेवाओं को छोड़कर सभी सेवाएं भी बंद की जाएंगी. किसान मोर्चा की तरफ़ से यह भी कहा गया है कि इस बंद का असर दिल्ली में दिखेगा.
भारत बंद की क्या है मांग
हालांकि किसानों की मांग अब नई नहीं हैं. दिल्ली की सीमाओं पर इन्हीं मांगों के साथ बैठे किसानों को अब 4 महीने हो गए हैं. नवंबर, दिसंबर और जनवरी की हाड़ कंपाती ठंड के बीच किसान डटे रहे. लेकिन सरकारी की तरफ़ से पहल होती नहीं दिख रही है. आलम तो यह है कि महीने बीत गए हैं सरकार और किसानों के बीच बातचीत को सिलसिला भी टूट गया है जबकि बातचीत की पूरी ज़िम्मेदारी सरकार की है.
संयुक्त किसान मोर्चा की तरफ़ से भारत बंद की निम्न मांगें सामने रखी गई हैं.
- तीन कृषि क़ानूनों की रद्द किया जाए.
- एसएसपी (MSP) पर ख़रीद का क़ानून बने.
- किसानों पर दर्ज सभी पुलिस केस वापस लिए जाएं.
- बिजली और प्रदूषण से संबंधित बिल वापस लिए जाएं.
- डीज़ल, पेट्रोल और गैस की क़ीमतें कम की जाएं.