डॉक्टरों पर हमलों की घटनाओं को देखते हुए इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चिट्ठी लिखी है और डॉक्टरों के लिए “बेहतर माहौल” सुनिश्चित को लेकर हस्तक्षेप की अपील की है ताकि वो बिना किसी डर के अपना काम कर सकें.
चिट्ठी में लिखा गया है, “इस महामारी के बीच, देश में डॉक्टरों और स्वास्थ्य कर्मियों के ख़िलाफ़ शारीरिक हिंसा की बढ़ती घटनाओं को देखकर हमें बहुत दुख हुआ है. असम में हमारे युवा डॉक्टर पर हमला और देश भर में महिला डॉक्टरों और यहां तक कि अनुभवी डॉक्टरों पर हमले डॉक्टरों के बीच मानसिक तनाव पैदा कर रहे हैं.” डॉक्टरों पर हमला करने वालों को सज़ा देने की मांग की गई है.
समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक़, आईएमए ने प्रधानमंत्री को लिखी चिट्ठी में आधुनिक चिकित्सा और कोविड-19 टीकाकरण के ख़िलाफ़ फेक न्यूज़ फैलाने वालों को रोकने की ज़रूरत पर ज़ोर दिया.
आईएमए ने कहा कि कोविड-19 टीकाकरण अभियान के ख़िलाफ़ ग़लत सूचना फैलाने वाले व्यक्तियों पर, महामारी रोग अधिनियम, 1897, भारतीय दंड संहिता और आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 क़ानून के तहत मामला दर्ज किया जाए और उन्हें सज़ा दी जाए.
आईएमए ने कहा कि कोविड-19 महामारी के ख़िलाफ़ लड़ाई में जान गंवाने वाले डॉक्टरों को उनके बलिदान के लिए कोविड शहीद का दर्ज दिया जाना चाहिए और उनके परिवारों को सरकार की ओर से उचित मदद दी जानी चाहिए.
आईएमए ने कहा कि कोविड-19 के बाद लंग फाइब्रोसिस यानी फेफड़ों के सिकुड़न और फंगल संक्रमण की जटिलताएं बढ़ रही हैं और सभी को इसके लिए तैयार रहने की ज़रूरत है.
आईएमए ने कहा कि म्यूकोरमाइकोसिस यानी ब्लैक फंगस के लिए ज़रूरी दवाएं आसानी से उपलब्ध नहीं थी लेकिन दवाओं के आयात और साथ ही स्वदेशी उत्पादन को बढ़ाने के लिए प्रधानमंत्री मोदी ने प्रयास किए. डॉक्टरों ने इन प्रयासों के लिए मोदी शुक्रिया कहा.
साथ ही आईएमए ने कहा कि सरकार को राज्यों और निजी अस्पतालों में 50 प्रतिशत तक टीके छोड़े बिना 18 वर्ष से ज़्यादा उम्र के सभी लोगों के लिए मुफ़्त टीकाकरण को बढ़ावा देना चाहिए.