ट्रेड एंड कॉमर्स कानून, 10 बिंदुओं में समझिए पक्ष और विपक्ष - Unreported India
Connect with us

Hi, what are you looking for?

News

ट्रेड एंड कॉमर्स कानून, 10 बिंदुओं में समझिए पक्ष और विपक्ष

दिल्ली की सीमाओं पर किसानों का आंदोलन जारी है लेकिन सरकार अब भी इन्हें किसानों के लिए फ़ायदेमंद बता रही है.सरकार का दावा है कि ये कानून कृषि सुधार की दिशा में ऐतिहासिक कदम है जिनसे किसानों की खुशहाली के नए रास्ते खुलेंगे. लेकिन खुद किसान, उनके संगठन और विपक्षी दलों के साथ-साथ सत्ताधारी गठबंधन तक कानून का विरोध कर रहे है. किसान लगातार सड़क से लेकर सोशल मीडिया पर अपनी आवाज़ को बुलंद कर रहे हैं. इन कानूनों में कृषि उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) बिल-2020 और किसान (सशक्तिकरण और संरक्षण) मूल्य आश्वासन और कृषि सेवा समझौता विधेयक-2020, और आवश्यक वस्तु (संशोधन) बिल-2020 शामिल हैं.

इनमें कृषि उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) बिल-2020 वास्तव में मंडी व्यवस्था से जुड़ा है. 10 बिंदुओं और सरल शब्दों में समझिए कि इसके पक्ष-विपक्ष में क्या दावे किये जा रहे हैं-
सरकार के दावे हैं कि….
1. नया क़ानून एपीएमसी यानी मंडियों के बाहर फसलों की ख़रीद-फरोख्त को प्रोत्साहित करता है. अब कोई भी पैनकार्ड धारक व्यक्ति, साझेदारी फर्म या कंपनी देश में किसी भी जगह किसान से फसल खरीद सकेगी.
2. एपीएमसी एक्ट के तहत चलने वाली मंडियों में ख़रीद-फरोख्त पर टैक्स लगता है. लेकिन नए क़ानून के तहत मंडियों के बाहर होने वाली ख़रीद-बिक्री पर टैक्स नहीं लगेगा. यानी व्यापारियों को मंडी के बाहर व्यापार करना ज़्यादा फ़ायदेमंद साबित होगा.
3. देश में कहीं भी फसल खरीदने और बेचने की छूट ‘एक देश- एक बाज़ार’ की व्यवस्था बनेगी. इससे फसलों का बाजार ज़्यादा प्रतिस्पर्धी बनेगा और इससे किसानों को अच्छी क़ीमत मिल सकेगी.
4. नए कानून के तहत कारोबारियों को फसलों को ख़रीदने पर किसान को उसी दिन या ज़्यादा से ज़्यादा तीन दिन के अंदर उपज का भुगतान करना होगा.जबकि केंद्र सरकार, किसान उत्पाद समूहों या कृषि सहकारी सोसायटी जैसे खरीदारों को ऐसी शर्त से छूट दी गई है.
5. उपज की ख़रीद-बिक्री को और ज़्यादा आसान और प्रभावी बनाने के लिए कृषक उत्पादक संगठन यानी एफपीओ को बढ़ावा देने और इलेक्ट्रॉनिक प्लेटफॉर्म भी बनाने की भी बात क़ानून कहता है.

क़ानून पर किसानों के सवाल-

6. सरकार मंडियों के बाहर टैक्स फ्री निजी मंडियां बनाने की छूट देकर एपीएमसी मंडियों को बायपास करके उन्हें कमजोर करना चाहती है. मंडी से बाहर टैक्स न होने की वजह से एपीएमसी मंडी के भीतर कारोबार घटने, आढ़तियों के पलायन और आख़िर में मंडियों के बंद हो जाने का खतरा है. अगर ऐसा होता है तो पहले से ही एमएसपी पर फसलों की खरीद घटाने की बात कह रही सरकार इसी को बहाना बनाकर एमएसपी पर खरीद को बंद या सीमित कर देगी.
7. एपीएमसी क़ानून या मंडियों में आने वाली समस्याओं को दूर करने की बजाय सरकार एक नया क़ानून और व्यवस्था किसानों पर थोप रही है.
8. इस क़ानून में मंडियों के बाहर ख़रीद-बिक्री पर किसी तरह की निगरानी की बात नहीं की गई है. इससे किसानों के साथ धोखाधड़ी या जालसाजी होने की आशंका रहेगी.
9. किसानों को ये भी डर है कि सरकार इस कानून के जरिए एमएसपी पर फसलों की खरीद को बंद या बेहद सीमित करना चाहती है. इसके अलावा सरकार ने कहीं भी न्यूनतम समर्थन मूल्य यानी एमएसपी का जिक्र नहीं किया है. व्यापारी किसानों को न्यूनतम कितनी क़ीमत देंगे, इस बात को भी कानून में कहीं साफ़ नहीं किया गया है.
10. क़ानून में किसी विवाद के निपटारे के लिए जो प्रक्रिया बनाई गई है. उसके तहत समझौता मंडल, एसडीएम और फ़िर ज़िलाधिकारी तक एक लंबी प्रक्रिया है. ये न केवल किसानों के लिए ख़र्चीली, बल्कि लालफीताशाही को बढ़ावा देने वाली है.

Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You May Also Like

News

पंजाब के जालंधर में गन्ना किसान एक बार फिर आंदोलन की राह पर हैं. अपनी माँगो को लेकर किसानों का आंदोलन दूसरे दिन भी...

News

पंजाब में किसानों का बीजेपी नेताओं के खिलाफ रोष थमने का नाम नहीं ले रहा है.मंगलवार को लुधियाना में बीजेपी की बैठक के बाहर...

News

केंद्र के विवादित कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ दिल्ली की सीमाओं पर बैठे किसानों के आंदोलन को सोमवार को आठ महीने पूरे हो गए. इस...

News

किसानों के समर्थन में कांग्रेस नेता राहुल गांधी सोमवार को ट्रैक्टर चलाकर संसद भवन पहुंचे. उन्होंने कहा कि वो किसानों का संदेश लेकर संसद...