किसान गणतंत्र परेड पर सहमति की ओर किसान और पुलिस प्रशासन. करीब 100 किलोमीटर लंबी परेड में शामिल हो सकते हैं 2 लाख से ज़्यादा ट्रैक्टर.
गणतंत्र दिवस यानी 26 जनवरी का दिन यूं तो देशवासियों के लिए खास होता है. इसमें सबसे खास होती है राजधानी दिल्ली में राजपथ पर होने वाली परेड जिसे देश ही नहीं दुनिया भर के लोग देखते हैं. लेकिन इस बार गणतंत्र दिवस का मौका खास होने वाला है. राजधानी दिल्ली राजपथ पर होने वाली परेड के अलावा एक और परेड की गवाह बनेगी. यह परेड होगी किसानों की उनके ट्रैक्टरों के साथ.
कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ चल रहे किसान आंदोलन के बीच इस बार गणतंत्र दिवस पर किसानों ने ‘किसान गणतंत्र परेड’ का ऐलान किया है. इस परेड के तय रास्ते पर किसान संगठनों की दिल्ली, उत्तर प्रदेश और हरियाणा पुलिस प्रशासन के बीच चल रही बातचीत में लगभग सहमति बन गई है.
पुलिस अधिकारियों के साथ चल रही बातचीत में शामिल स्वराज इंडिया के अध्यक्ष योगेंद्र यादव ने बातचीत के बाद मीडिया को बताया कि ‘किसान गणतंत्र दिवस पर परेड करेंगे. हमने पहले ही घोषणा की थी कि किसान दिल्ली के अंदर ट्रैक्टरों के साथ परेड करेंगे.’
उन्होंने कहा कि ‘पुलिस के साथ परेड के रूट के बारे में मोटे तौर पर सहमति बन गई है. रूट के बारे में किसान संगठन 24 जनवरी को पुलिस के साथ अंतिम रूप देंगे.’
किसान संगठनों की तरफ से यह अनुमान लगाया जा रहा है कि इस परेड में करीब 2 लाख ट्रैक्टर शामिल हो सकते हैं. पुलिस और किसान नेताओं की बातचीत में यह बात भी सामने आई है कि यह परेड 5 अलग- अलग रास्तों से गुजर सकती है और करीब 100 किलोमीटर लंबी दूरी तय करेगी.
योगेंद्र यादव ने कहा कि यह एक ऐतिहासिक मौका होगा जिसमें गण की प्रतिष्ठा को बनाने के लिए किसान परेड करेंगे. किसान दिल्ली में प्रवेश करेंगे और सारे बैरिकेट्स खोले दिए जाएंगे, किसान कहीं नहीं रुकेंगे.
किसान नेताओं के मुताबिक़ यह परेड शांतिपूर्ण और अनुशासन से होगी. इसके लिए बक़ायदा कंट्रोल रूम बनाया जाएगा और कम से कम 2,500 वॉलिंटियर भी तैनात किए जाएंगे. हालांकि परेड के रूट की अभी स्पष्ट और आधिकारिक जानकारी सामने नहीं आई है. दिल्ली पुलिस के मुताबिक़ किसान संगठनों की तरफ़ से जवाब आने के बाद परेड का रूट तय माना जाएगा.
कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ दिल्ली की अलग-अलग सीमाओं पर 26 नवंबर से किसानों का आंदोलन चल रहा है. किसान कृषि क़ानूनों (Agriculture Law) की वापसी और न्यूनतम समर्थन मूल्य यानी एमएसपी (MSP) की गारंटी वाला क़ानून बनाने की मांग कर रहे हैं और इससे कम पर किसी भी हालत में मानने को तैयार नहीं हैं.