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जम्मू-कश्मीर से कर्नाटक तक नज़र आया किसानों के चक्का जाम का असर, देखिए कहां क्या हुआ

कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ शनिवार यानि 6 फ़रवरी को बुलाया गया किसानों का देशव्यापी चक्का जाम ख़त्म हो गया. किसानों ने  दोपहर 12 से 3 बजे तक तीन घंटे का चक्का जाम बुलाया था. दिल्ली, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड को छोड़कर दूसरी जगहों पर किसानों ने चक्का जाम के दौरान राजमार्गों को जाम किया.

हालांकि इस दौरान दिल्ली में सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए थे. देशभर में बुलाए गए चक्का जाम को देखते हुए शहीदी पार्क के आसपास सुरक्षा बढ़ा दी गई.  सुरक्षा के मद्देनज़र दिल्ली-एनसीआर में क़रीब 50,000  जवानों की तैनाती की गई. वहीं दिल्ली में सभी मेट्रो स्टेशन को खोल दिया गया है. किसानों के चक्का जाम के चलते कई मेट्रो स्टेशन को बंद कर दिया गया था. हालाँकि, ग़ाज़ीपुर, टीकरी और सिंघु बॉर्डर पर शनिवार 12 बजे तक इंटरनेट सेवा बंद रहेंगी.

चक्का जाम का सबसे ज़्यादा असर हरियाणा और पंजाब में दिखाई दिया जहां ज़्यादातर राज्य और राष्ट्रीय राजमार्ग बंद रहे. पंजाब के लुधियाना में किसानों ने लुधियाना-फिरोजपुर हाईवे जाम किया. किसानों ने चक्का जाम के दौरान हाइवे पर लंगर लगाया.

 

हरियाणा में किसानों ने पलवल-आगरा हाईवे जाम कर चक्का जाम किया.  इस दौरान किसानों ने सोनीपत पर ईस्टर्न पेरिफेरेल एक्सप्रेस-वे भी बंद किया. किसानों ने अपने ट्रैक्टर और बड़े ट्रक लगाकर ईस्टर्न और वेस्टर्न पेरिफ़ेरेल एक्सप्रेस-वे बंद किया. इस दौरान, किसानों ने एंबुलेंस को जाने दिया.

जम्मू कश्मीर में भी किसानों के चक्का जाम का असर देखने को मिला. किसानों ने जम्मू-पठानकोट हाईवे पर चक्का जाम करके विरोध किया.

असम में भी कई राजनीतिक दलों और कई संगठनों ने किसानों आंदोलन का समर्थन किया. गुवाहाटी में  राजनीतिक दलों और संगठनों ने किसानों के समर्थन में प्रदर्शन  किया.

इसके अलावा कर्नाटक में भी किसान संगठनों ने मैसूर-बेंगलुरु हाइवे पर चक्का जाम किया. इसके अलावा किसानों बनकापुर टोल पर और टोल के पास नेशनल हाइवे पर चक्का जाम किया.

उधर, किसानों ने कुंडली बॉर्डर के पास केजीपी-केएमपी पर भी जाम लगाया. इससे पहले भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने कहा था कि ‘आज चक्का जाम हर जगह शांतिपूर्ण ढंग से किया जा रहा है. अगर कोई भी अप्रिय घटना होती है तो दंड दिया जाएगा.’ 26 जनवरी की ट्रैक्टर परेड के बाद से ये किसान संगठनों का पहला बड़ा प्रदर्शन था.

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