विश्व स्वास्थ्य संगठन यानि डब्ल्यूएचओ ने ऑक्सफ़र्ड युनिवर्सिटी की बनाई कोरोना वायरस वैक्सीन के दो वर्जन के आपात इस्तेमाल इजाज़त दे दी है. इस वैक्सीन का उत्पादन कोरिया की एस्ट्राज़ेनेका-एसके बायो और भारत के पुणे की सीरम इंस्टीट्यूट कर रही है.
Once #COVAX starts roll-out, more countries will be able to vaccinate their health workforce and people at risk of severe disease. The aim is to increase access in all countries to stem the #COVID19 pandemic
https://t.co/5NHRcpGxhi pic.twitter.com/Zgnc8bGeb2 — World Health Organization (WHO) (@WHO) February 15, 2021
डब्ल्यूएचओ के कोवैक्स (#COVAX) कार्यक्रम के तहत एस्ट्राज़ेनेका कंपनी की ओर से बड़े पैमाने पर बनाई जा रही इस वैक्सीन को सभी मुल्कों को दिया जाएगा. डब्ल्यूएचओ सभी मुल्कों तक कोरोना वैक्सीन की बराबर पहुंच के लिए कोशिश कर रहा है.
WHO के स्ट्रैटेजिक एडवायज़री ग्रूप ऑफ़ एक्सपर्ट (SAGE) के मुताबिक 18 साल और इससे अधिक की उम्र के लोगों ऑक्सफ़र्ड-एस्ट्राज़ेनेका की दोनों वैक्सीन दी जा सकती है.
The vaccine was reviewed by WHO’s Strategic Advisory Group of Experts on Immunization (SAGE), which makes recommendations for vaccines’ use in populations. The SAGE recommended the AstraZeneca/Oxford #COVID19 vaccine for all age groups 18 & above.
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इस ग्रुप के मुताबिक़ एस्ट्राज़ेनेका की ये वैक्सीन 63.09 फीसदी कारगर पाई गई है और इसे स्टोर करना आसान है. इस वजह से कम आय वाले देशों के लिए ये वैक्सीन बेहतर मानी जा रही है.