दिल्ली हाई कोर्ट ने मंगलवार को ग़ैरक़ानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम यानी यूएपीए के तहत गिरफ़्तार किए गए पिंजरा तोड़ कार्यकर्ताओं देवांगना कलीता, नताशा नरवाल और जामिया के छात्र आसिफ़ इक़बाल तन्हा को ज़मानत दे दी. ये मामला उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हुई हिंसा से जुड़ा है. खंडपीठ ने कलीता, नरवाल और तन्हा को 50-50 हज़ार के निजी मुचलके पर ज़मानत दी है.
अदालत ने उन्हें पासपोर्ट सरेंडर करने, किसी ग़ैरक़ानूनी गतिविधि में शामिल ना होने और मामले की जांच को बाधित ना करने का निर्देश दिया. नरवाल और कलीता को उत्तर-पूर्वी दिल्ली में जाफराबाद से जुड़े सीएए-विरोधी प्रदर्शन मामले में 23 मार्च 2020 को गिरफ़्तार किया गया था, लेकिन उन्हें बाद में ज़मानत मिल गई थी. लेकिन ज़मानत मिलने के तुरंत बाद उन्हें दिल्ली पुलिस ने 24 मार्च को दूसरे मामले में गिरफ़्तार कर लिया था और बाद में उन्हें यूएपीए की धाराओं के तहत एक बड़ी साजिश के मामले के तहत भी गिरफ़्तार कर लिया गया.
अब तीनों को कई और मामलों में ज़मानत मिल चुकी है जिसके बाद अब ये जेल से बाहर आ सकते हैं. अदालत ने उनके लिए कई शर्तें तय की. वो पहले से इजाज़त लिए बिना देश के बाहर नहीं जा सकते. साथ ही अदालत ने ये भी कहा है कि वो अभियोजन गवाह या तथ्यों से परिचित व्यक्ति से कोई संपर्क नहीं करेंगे, उनसे मिलेंगे नहीं, उन्हें कोई प्रलोभन, धमकी या वादा नहीं करेंगे.