बिहार की लोक जनशक्ति पार्टी यानी एलजेपी में अंदरूनी कलह तेज़ होती जा रही है. पार्टी के दिवंगत संस्थापक रामविलास पासवान के छोटे भाई पशुपति कुमार पारस के गुट ने मंगलवार को भतीजे चिराग पासवान को पार्टी अध्यक्ष पद से हटा दिया. वहीं, चिराग पासवान गुट ने भी बराबर जवाब दिया और पार्टी के पांच बाग़ी सांसदों को निष्कासित कर दिया.
LJP faction headed by Chirag Paswan expels five rebel MPs; Pashupati Kumar Paras-led faction removes Paswan as party president
— Press Trust of India (@PTI_News) June 15, 2021
चिराग धड़े ने एक प्रस्ताव भी जारी किया है. जिसमें कहा है, “पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी समिति ने एक मत से फ़ैसला किया है कि सांसद पशुपति कुमार पारस, सांसद बीना देवी, सांसद चौधरी महबूब अली, सांसद चंदन सिंह और सांसद प्रिंस राज को तत्काल प्रभाव से लोक जनशक्ति पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से हटा दिया गया है.”
प्रस्ताव में साथ ही कहा गया है, “आने वाले विधानसभा चुनाव में पार्टी की ओर से सभी फ़ैसले लेने के लिए एलजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष चिराग पासवान को अधिकृत किया गया है.”
इससे पहले सोमवार को पशुपति कुमार पारस की अगुआई वाले गुट ने चिराग़ पासवान को हटाकर पारस को पार्टी के संसदीय दल का नेता चुन लिया था, जिस पर लोकसभा से भी अधिसूचना जारी हो गई.
चिराग ने भावुक ट्वीट किया. चिराग़ पासवान ने मंगलवार को पार्टी में फूट को लेकर पहली बार चुप्पी तोड़ी और एक भावुक ट्वीट किया. जिसमें उन्होंने निराशा जताई है कि वो अपने पिता की बनाई पार्टी और परिवार को साथ रखने में सफल नहीं हो पाए.
ट्वीट में उन्होंने लिखा, “पापा की बनाई इस पार्टी और अपने परिवार को साथ रखने के लिए मैंने प्रयास किया लेकिन असफल रहा. पार्टी मां के समान है और मां के साथ धोखा नहीं करना चाहिए. लोकतंत्र में जनता सर्वोपरि है. पार्टी में आस्था रखने वाले लोगों का मैं धन्यवाद देता हूं. एक पुराना पत्र साझा करता हूं.”
पापा की बनाई इस पार्टी और अपने परिवार को साथ रखने के लिए किए मैंने प्रयास किया लेकिन असफल रहा।पार्टी माँ के समान है और माँ के साथ धोखा नहीं करना चाहिए।लोकतंत्र में जनता सर्वोपरि है। पार्टी में आस्था रखने वाले लोगों का मैं धन्यवाद देता हूँ। एक पुराना पत्र साझा करता हूँ। pic.twitter.com/pFwojQVzuo
— युवा बिहारी चिराग पासवान (@iChiragPaswan) June 15, 2021
उन्होंने साथ ही एक पुरानी चिट्ठी भी साझा की. पत्र में लिखी तारीख़ के मुताबिक ये पत्र उन्होंने अपने चाचा पशुपति पारस को 29 मार्च, 2021 को लिखा था. पत्र में चिराग़ पासवान ने अपने चाचा के साथ संबंधों में आई खटास का ज़िक्र किया है. उनसे चल रही अनबन से जुड़ी कुछ घटनाएं भी लिखी हैं.
मामला तब गरमाया जब सोमवार को लोक जनशक्ति पार्टी के छह में पांच सांसदों ने चिराग़ पासवान के ख़िलाफ़ बगावत कर दी थी और चिराग़ पासवान की जगह उनके चाचा पशुपति कुमार पारस को लोकसभा में पार्टी का नेता घोषित कर दिया था.