चिराग पासवान ने कहा है कि नीतीश कुमार की जेडीयू उनकी पार्टी एलजेपी को तोड़ने की साज़िश तब से कर रही है, जब उनके पिता जीवित थे.
चिराग पासवान ने बुधवार को प्रेस वार्ता में कहा, “जब मेरे पिता अस्पताल में थे, तभी से कुछ लोग पार्टी तोड़ने की कोशिश कर रहे हैं. मेरे पिता ने ये बात पार्टी नेताओं को कही थी. इसके बारे में मेरे चाचा पशुपति कुमार पारस को भी बताया था. लेकिन कुछ लोग उस संघर्ष के लिए तैयार नहीं थे, जिनसे होकर हम गुजरे थे.”
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चिराग ने साथ ही कहा, “जब मेरे पिता और एक दूसरे चाचा का निधन हुआ तो मैं उन्हें देखा करता था. जब मेरे पिता मुझे छोड़कर चले गए तो मैं अनाथ नहीं हुआ था. लेकिन जब मेरे चाचा ने ऐसा किया तो मैं अनाथ हो गया.”
पार्टी अध्यक्ष पद से हटाए जाने पर चिराग ने कहा, “लोकसभा में पार्टी नेता की नियुक्ति का फैसला संसदीय समिति करती है न कि निर्वाचित सांसद. ऐसा कहा जा रहा है कि पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष के पद से मुझे हटा दिया गया है. लेकिन पार्टी के संविधान के मुताबिक़ राष्ट्रीय अध्यक्ष को पद से तभी हटाया जा सकता है जब कि उसकी मृत्यु हो जाए या फिर वो इस्तीफा दे दे.”
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उन्होंने कहा, उन्होंने कहा कि जब मैं बीमार था तो वे अपनी साज़िश में कामयाब हो गए.
चिराग ने कहा, “मेरे बीमार रहने के दौरान इस साजिश को अंजाम दिया गया. मैंने उस वक्त अपने चाचा जी से भी बात करने की कोशिश की लेकिन मैं नाकाम रहा.”
लोक सभा अध्यक्ष को लिखा पत्र
समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक़, चिराग पासवान ने अपने चाचा पशुपति कुमार पारस को लोकसभा में पार्टी के नेता के तौर पर मान्यता दिए जाने का विरोध करते हुए लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला को पत्र लिखकर कहा कि ये एलजेपी के विधान के ख़िलाफ़ है.
पत्र में उन्होंने ओम बिरला को ये भी जानकारी दी कि उनकी अध्यक्षता में पार्टी ने पारस समेत उन पांच सांसदों को एलजेपी से निष्कासित कर दिया है जो उनके ख़िलाफ़ एकजुट हुए हैं. उन्होंने लोकसभा अध्यक्ष से अपील की कि वो अपने फैसले पर पुनर्विचार करें और सदन में उन्हें एलजेपी के नेता के तौर पर मान्यता देने का नया परिपत्र जारी करें.