'हम किसी भी दबाव में सरकार के साथ चर्चा नहीं करेंगे' - Unreported India
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‘हम किसी भी दबाव में सरकार के साथ चर्चा नहीं करेंगे’

कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ किसानों के चक्का जाम के दौरान देश भर में राजमार्गों पर किसानों का हुजूम उमड़ा. पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, जम्मू-कश्मीर ही नहीं तेलंगाना, केरल, कर्नाटक, से लेकर बंगाल तक किसानों के चक्का जाम का ऐलान का असर दिखा.  तीन घंटे का चक्का जाम खत्म होने के बाद भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने  दो टूक कहा कि कृषि कानूनों  की वापसी की मांग नहीं माने जाने तक किसान घरों को नहीं लौटेंगे.’

उन्होंने साफ़ कहा कि किसान किसी भी दबाव में सरकार से बात नहीं करेंगे. समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक़ राकेश टिकैत ने कहा कि ‘हमने कृषि कानूनों को निरस्त करने के लिए सरकार को दो अक्टूबर तक का समय दिया है. इसके बाद हम आगे की प्लानिंग करेंगे. हम किसी भी दबाव में सरकार के साथ चर्चा नहीं करेंगे.’

वहीं, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के किसानों से एक फ़ोन कॉल की दूरी वाले बयान पर किसान नेता युद्धवीर सिंह ने तंज करते हुए कहा कि हम बीते सात साल से ऐसा नंबर ढूँढ रहे हैं. उन्होंने कहा कि ‘पिछले 7 साल से वो नंबर ढूंढ रहे हैं जिसपर प्रधानमंत्री जी उपलब्ध हो सकते हैं. अगर हमें वो फोन नंबर मिल जाए तो हम बात करने को तैयार हैं, हम इंतजार में हैं. इस बीच हमने तय किया है कि हम अपने आंदोलन को तेज करेंगे.’

कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ किसानों का बुलाया गया चक्का जाम शांतिपूर्ण रहा. इस बीच किसान नेता दर्शन पाल ने कहा कि ”चक्का जाम’ सफल और शांतिपूर्ण रहा. कर्नाटक और तेलंगाना में कुछ समस्या सामने आई है, कुछ लोगों को हटाया गया है. आने वाले दिनों में आंदोलन को आगे बढ़ाने पर आज बैठक में चर्चा हुई है.’

26 जनवरी की ट्रैक्टर परेड के बाद से ये किसान संगठनों का पहला बड़ा प्रदर्शन था. आंदोलन सिर्फ एक-दो राज्यों तक सीमित नहीं रहा, यूपी, उत्तराखंड, दिल्ली को छोड़कर उत्तर भारत के सभी राज्यों दक्षिण भारत में तेलंगाना, तमिलनाडु, कर्नाटक, तेलंगाना भी चक्काजाम के आह्वान का असर देखने को मिला. कांग्रेस, वामपंथी दलों के अलावा तमाम राजनीतिक दलों का भी किसानों को साथ मिला.

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