मनदीप पुनिया, क्या सच्ची पत्रकारिता का अंजाम है? - Unreported India
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मनदीप पुनिया, क्या सच्ची पत्रकारिता का अंजाम है?

पुलिस की जीप में मनदीप की तस्वीर

किसान आंदोलन की रिपोर्टिंग कर रहे स्वतंत्र पत्रकार मनदीप पुनिया को गिरफ़्तार किए जाने के बाद रविवार को उन्हें तिहाड़ जेल में ही मेट्रोपॉलिटन मैजिस्ट्रेट के सामने पेश किया गया, जिसके बाद उन्हें 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया. मनदीप को शनिवार शाम दिल्ली पुलिस ने पुलिस के काम में बाधा डालने के आरोप में गिरफ्तार किया था.

गिरफ्तारी के बाद का एक वीडियो पत्रकारों ने सोशल मीडिया पर शेयर किया है. जिसमें मनदीप ने बताया कि ‘पुलिस ने उसके कैमरे से सारी फुटेज डिलीट कर दी. साथ ही दूसरे पत्रकार धर्मेंद्र का फोन और मनदीप का कैमरा तोड़ दिया, उनमें दिल्ली पुलिस और पत्थरबाजों की मिलीभगत के सबूत थे.’ वीडियो में मनदीप ने बताया कि ‘अपने फेसबुक लाइव में इस गठजोड़ का खुलासा करने के बाद वो एक डिटेल स्टोरी कर रहा था. जिसमें पुलिस का पक्ष रखने के लिए बार-बार उन्हें फोन कर रहा था, जवाब मांग रहा था.’

https://www.facebook.com/murari.tripathi.5/videos/3716807361760325

मनदीप की गिरफ़्तारी के विरोध में पत्रकारों ने किया मार्च, विपक्ष ने भी उठाए सवाल

मनदीप की गिरफ़्तारी के विरोधी में पत्रकारों के एक समूह ने दिल्ली पुलिस हेडक्ववार्टर पर प्रदर्शन किया. पत्रकार मनदीप की रिहाई की मांग कर रहे हैं.

https://www.facebook.com/watch/live/?v=3754392824628153&ref=search

पत्रकारों के साथ ही विपक्ष ने भी सरकार की नीतियों पर सवाल उठाए हैं. कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने ट्विटर पर लिखा, ‘किसान आंदोलन कवर कर रहे पत्रकारों को गिरफ्तार किया जा रहा है, उनपर मुकदमें किए जा रहे हैं। कई जगहों पर इंटरनेट बंद कर दिया है। भाजपा सरकार किसानों की आवाज को कुचलना चाहती है लेकिन वे भूल गए हैं कि जितना दबाओगे उससे ज्यादा आवाजें आपके अत्याचार के खिलाफ उठेंगी।’ #ReleaseMandeepPunia

हरियाणा के झज्जर से ताल्लुक़ रखने वाले मनदीप ‘द कारवां’ और जनपथ समेत कई पत्र पत्रिकाओं के लिए स्वतंत्र पत्रकारिता करते रहे हैं. मनदीप पहले दिन से किसान आंदोलन पर सिंघु बॉर्डर पर रिपोर्टिंग कर रहे हैं. शनिवार शाम मनदीप के गिरफ्तार होने की ख़बरें सामने आनी शुरू हुई. इसके बाद देर रात मनदीप पुनिया के बारे में पत्रकारों ने ट्वीट करना शुरू किया कि पुलिस ने उन्हें गिरफ़्तार कर लिया है. साथ ही सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल होना शुरू हुआ जिसमें पुलिस एक व्यक्ति को खींचकर ले जाने की कोशिश करती हुई दिख रही है.

https://www.facebook.com/AISAJMI/videos/705246180175091

लेकिन पुलिस ने उनकी गिरफ़्तारी की आधिकारिक पुष्टि कई घंटों के बाद की. उन्हें कहां ले जाया गया इसकी जानकारी सुबह तक लोगों को नहीं मिल सकी थी. मनदीप के अलावा सिंघु बॉर्डर से एक अन्य पत्रकार धर्मेंद्र सिंह को भी हिरासत में लिया गया था. हालांकि धर्मेंद्र को रविवार सुबह करीब 5 बजे छोड़ दिया गया था. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक धर्मेंद्र से दिल्ली पुलिस ने उनसे एक अंडरटेकिंग लैटर साइन कराया है. धर्मेंद्र और मनदीप के मामले में एक अंतर यह भी था कि धर्मेंद्र के पास मीडिया कार्ड था लेकिन क्योंकि मनदीप स्वतंत्र पत्रकारिता यानी फ्रीलांस जर्नलिज्म करते हैं इसकी वजह से उनके पास ऐसा कोई प्रेस कार्ड नहीं था.

मनदीप पर दर्ज एफआईआर में क्या है?

दिल्ली पुलिस ने मनदीप पुनिया के ख़िलाफ़ जो एफ़आईआर दर्ज की हैं. उसमें भारतीय दंड संहिता की धाराओं 186 (सरकारी कर्मचारी के काम में बाधा डालना), 353 (सरकारी कर्मचारी पर हमला करना), 332 (जान-बूझकर व्यवधान डालना) और 341 (गै़र-कानूनी हस्तक्षेप) के तहत मुक़दमा दर्ज किया है.
एफ़आईआर के मुताबिक़, ‘दिल्ली पुलिस शनिवार को सिंघु बॉर्डर पर अपनी ड्यूटी कर रही थी जहाँ कुछ किसान बैरिकेड तोड़ने की कोशिश कर रहे थे. क़रीब साढ़े छह बजे कुछ किसान बैरिकेड तोड़ने की नीयत से आये और पुलिस के जवानों के साथ हाथापाई करने लगे. उस दौरान पुलिस ने मनदीप पुनिया को पकड़ लिया जो एक पुलिसकर्मी से हाथापाई कर रहे थे.’

एफआईआर में धर्मेंद्र सिंह को हिरासत में लिए जाने और छोड़े जाने का कोई ज़िक्र नहीं किया गया है.

सिंघु बॉर्डर पर कैसे हुई मनदीप की गिरफ़्तारी?

शनिवार शाम पुलिस के काम में बाधा डालने के आरोप में मनदीप और धर्मेंद्र सिंह को भी हिरासत में लिया गया था. मनदीप को ले जाने वाला एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ. हालांकि धर्मेंद्र का ऐसा कोई वीडियो सामने नहीं आया था. वीडियो को देखने से पुलिस के आरोपों पर पत्रकार शक़ कर रहे हैं. मनदीप को जिस तरह से पुलिस ले जा रही है उसका वीडिया सोशल मीडिया पर वायरल हुआ. पत्रकारों ने एक सुर में मनदीप की रिहाई की मांग शुरू कर दी.

किसान आंदोलन मामले में किन पत्रकारों पर दर्ज मामले?

मनदीप पुनिया से पहले भी किसान आंदोलन मामले में कई पत्रकारों पर मुक़दमे दर्ज हो चुके हैं. 26 जनवरी की किसान रैली के घटनाक्रम के बाद दिल्ली और उत्तर प्रदेश पुलिस ने कई और पत्रकारों पर आपराधिक मामले दर्ज किये हैं. उत्तर प्रदेश पुलिस ने गुरुवार को इंडिया टुडे के पत्रकार राजदीप सरदेसाई, नेशनल हेराल्ड की वरिष्ठ सलाहकार संपादक मृणाल पांडे, क़ौमी आवाज़ के संपादक ज़फ़र आग़ा, द कारवां पत्रिका के संपादक और संस्थापक परेश नाथ, द कारवां के संपादक अनंत नाथ और इसके कार्यकारी संपादक विनोद के. जोस के ख़िलाफ़ राजद्रोह क़ानून के तहत मामला दर्ज किया है.

क्या मनदीप अपने काम की क़ीमत चुका रहे हैं?

मनदीप पहले दिन से किसान आंदोलन की अलग- अलग रिपोर्ट पेश कर रहे थे. उनके जानने वाले तमाम पत्रकार इस बात पर संदेह कर रहे हैं कि मनदीप की गिरफ़्तारी उनकी रिपोर्टिंग को लेकर हुई है. दरअसल गिरफ़्तारी से पहले मनदीप ने सिंघु बॉर्डर पर प्रदर्शन कर रहे किसानों पर हुए पथराव पर एक रिपोर्ट की थी. इस रिपोर्ट में उन्होंने आरएसएस (RSS) के कार्यकर्ताओं, बीजेपी के कार्यकर्ताओं और दिल्ली पुलिस की भूमिका पर सवाल उठाए थे. मनदीप का भी कहना है कि वह इसी रिपोर्ट के सिलसिले में पुलिस का पक्ष लेना चाहते थे. लेकिन दिल्ली पुलिस ने उन्हें गिरफ़्तार कर लिया. मनदीप की गिरफ़्तारी के बाद से ही लगातार पत्रकार यह सवाल उठा रहे हैं कि निष्पक्ष पत्रकारिता करना कोई गुनाह नहीं है. एक पत्रकार के तौर पर मनदीप अलग नजरिए से रिपोर्ट कर सकता है अगर पुलिस या प्रशासन को उस रिपोर्ट में कुछ गलत लगता है तो वह उस रिपोर्ट के ख़िलाफ़ शिकायत कर सकते हैं लेकिन इस तरह से एक पत्रकार को गिरफ़्तार करना बेहद ग़लत कदम है.

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