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मध्य प्रदेश में चल रही जूनियर डॉक्टरों की हड़ताल  खत्म

मध्य प्रदेश में चल रही जूनियर डॉक्टरों की हड़ताल  खत्म हो गई है. महामारी के बीच मरीजों को हो रही दिक्कत और हाईकोर्ट के फैसले के बाद डॉक्टरों ने ये फैसला लिया है. मध्य प्रदेश के चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग (Vishwas Sarang) ने कहा कि डॉक्टरों ने  शर्त मानने के बाद हड़ताल खत्म करने का फैसला लिया है.

 

दरअसल इनकी मांग है कि उन्हें जो stipend यानि पैसा मिलता है उसमें 24 प्रतिशत की बढ़ोतरी की जाए, साथ ही कोविड काल में परिवार वालों को भी बेहतर और मुफ्त इलाज मिले. यही नहीं डॉक्टरों ने कोविड ड्यूटी को एक साल की अनिवार्य ग्रामीण सेवा मानकर बॉन्ड से भी उन्हें फ्री करने की मांग रखी थी.

हालांकि, इसे सुलझाने के लिए सरकार और डॉक्टरों के बीच बातचीत चल रही थी. उधर गुरुवार को 24 घंटे में हड़ताल खत्म करने के हाईकोर्ट के आदेश के बाद 3000 से ज्यादा डॉक्टरों ने इस्तीफा दे दिया था. ताली और थाली बजाकर इन डॉक्टरों ने सरकार का विरोध किया. लेकिन 7 दिन तक हड़ताल पर रहने के बाद आखिरकार डॉक्टरों ने हड़ताल खत्म कर दी, जिससे मरीजों और सरकार दोनों को राहत मिली है.

 

क्या था पूरा मामला

जूनियर डाक्टर्स 6 सूत्रीय मांगों को लेकर 31 मई से हड़ताल पर थे. उनका आरोप लगाया था कि पहले उनकी मांगों को मानने का सरकार ने आश्वासन दिया था लेकिन बाद में वो अपनी बात से पीछे हट गए.हाईकोर्ट ने जूनियर डाक्टरों की हड़ताल को अवैध घोषित कर दिया था और इसके साथ ही डाक्टरों को 24 घंटे के अंदर काम पर लौटने का आदेश दिया था.

वहीं सरकार ने पांच मेडिकल कालेंजों के 468 फाइनल ईयर के छात्रों को बर्ख़ास्त कर दिया. पांचों मेडिकल कालेज का संबंध जबलपुर मेडिकल यूनिवर्सिटी से था. इसके बाद तीन हज़ार जूनियर डाक्टरों ने इस्तीफ़ा देने का ऐलान कर दिया.

जूनियर डॉक्टर एसोसिएशन ने कहा था कि सरकार ने जूनियर डाक्टर्स की मांग नही मानी है, सिर्फ आश्वासन दिया गया इसलिए उन्होंने ये कदम उठाया है. वहीं एसोसिएशन ने चेतावनी दी है कि जब तक उनकी मांग नही मानी जाएंगी वो आंदोलन जारी रखेंगे. मेडिकल टीचर संघ ने भी जूडा को अपना समर्थन दिया है.

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