मध्य प्रदेश में तीन हज़ार से ज़्यादा जूनियर डॉक्टरों ने इस्तीफ़ा दे दिया है. ये डॉक्टर वेतन भत्तों में बढ़ोतरी की मांग को लेकर पिछले कई दिनों से प्रदर्शन कर रहे थे. लेकिन जबलपुर हाई कोर्ट (High Court) ने इन डॉक्टरों की हड़ताल को अवैध क़रार दे दिया, जिसके बाद जूनियर डॉक्टरों ने इस्तीफ़ा देने का फ़ैसला किया.
मध्यप्रदेश जूनियर डॉक्टर्स एसोसिएशन यानी JDA का दावा है कि प्रदेश सरकार ने 24 दिन पहले उनकी मांगों को पूरा करने का वादा किया था, लेकिन तब से इस मामले में कुछ नहीं हुआ है. समाचार एजेंसी ANI से बातचीत में भोपाल के गांधी मेडिकल कॉलेज और हमीदिया अस्पताल के डॉ सौरभ तिवारी ने कहा, “हम सरकार की ओर से किए गए वादे को पूरा करने की मांग कर रहे हैं. वरिष्ठ रेज़िडेंट डॉक्टरों ने भी काम करना बंद कर दिया है. हम सरकार से लिखित आश्वासन चाहते हैं.”
जबलपुर रेंज के कमिश्नर का कहना है कि ‘जूनियर डॉक्टरों के इस्तीफ़े का कोई महत्व नहीं है क्योंकि वो शासकीय कर्मचारी नहीं हैं.’ वहीं, प्रदेश के चिकित्सा मंत्री विश्वास सारंग ने कहा है कि रेज़िडेंट डॉक्टर हमसे बात नहीं करना चाहते हैं. उन्होंने कहा, “हाईकोर्ट ने उनकी हड़ताल को असंवैधानिक क़रार दिया है. उन्हें कोर्ट के आदेश का पालन करना चाहिए और तुरंत काम पर लौटना चाहिए. सारंग ने कहा कि मैं सोचता हूं कि ये डॉक्टर कोर्ट के आदेश का आदर करेंगे.”
जूनियर डॉक्टरों ने हड़ताल की है और उच्च न्यायालय ने इस हड़ताल को गैरकानूनी बताया है। न्यायालय ने डॉक्टरों से कहा है कि वे हड़ताल समाप्त कर काम पर लौटें। जूनियर डॉक्टरों के इस्तीफे का कोई महत्व नहीं है क्योंकि वे शासकीय कर्मचारी नहीं हैं: जबलपुर रेंज के कमिश्नर, मध्य प्रदेश https://t.co/qOOCiadoTc pic.twitter.com/ITbGxMDuef
— ANI_HindiNews (@AHindinews) June 4, 2021
क्या है पूरा मामला
जूनियर डाक्टर्स 6 सूत्रीय मांगों को लेकर 31 मई से हड़ताल पर है. उनका आरोप है कि पहले उनकी मांगों को मानने का सरकार ने आश्वासन दिया था लेकिन बाद में वो अपनी बात से पीछे हट गए.हाईकोर्ट ने जूनियर डाक्टरों की हड़ताल को अवैध घोषित कर दिया था और इसके साथ ही डाक्टरों को 24 घंटे के अंदर काम पर लौटने का आदेश दिया था.
वहीं सरकार ने पांच मेडिकल कालेंजों के 468 फाइनल ईयर के छात्रों को बर्ख़ास्त कर दिया. पांचों मेडिकल कालेज का संबंध जबलपुर मेडिकल यूनिवर्सिटी से था. इसके बाद तीन हज़ार जूनियर डाक्टरों ने इस्तीफ़ा देने का ऐलान कर दिया.
जूनियर डॉक्टर एसोसिएशन ने कहा है कि सरकार ने जूनियर डाक्टर्स की मांग नही मानी है, सिर्फ आश्वासन दिया गया इसलिए उन्होंने ये कदम उठाया है. वहीं एसोसिएशन ने चेतावनी दी है कि जब तक उनकी मांग नही मानी जाएंगी वो आंदोलन जारी रखेंगे. मेडिकल टीचर संघ ने भी जूडा को अपना समर्थन दिया है.
मांगें क्या हैं?
मध्य प्रदेश जूनियर डॉक्टर्स एसोसिएशन (जूडा) के अध्यक्ष अरविंद मीणा ने मीडिया को बताया कि राज्य के छह मेडिकल कॉलेजों से संबद्ध जूडा के सदस्य सोमवार से हड़ताल पर हैं. इसके तहत जूनियर डॉक्टर आउट पेशेंट डिपार्टमेंट (ओपीडी), इन-पेशेंट डिपार्टमेंट (आईपीडी) और स्वास्थ्य सुविधाओं के अन्य वार्डों में काम नहीं कर रहे हैं.
उन्होंने अपनी छह मांगों के बारे में बताया. इनमें मानदेय में बढ़ोतरी, कोविड में काम करने वाले डॉक्टरों और उनके परिजन के लिए अस्पताल में इलाज की अलग व्यवस्था, साथ ही कोविड ड्यूटी को एक साल की अनिवार्य ग्रामीण सेवा मानकर बांड से मुक्त करना शामिल हैं.
उन्होंने बताया कि जूडा में प्रदेश के छह मेडिकल कॉलेजों के लगभग तीन हज़ार सदस्य शामिल हैं. उनकी मांग है कि राज्य सरकार उनकी मांगों को पूरा करने के लिए लिखित आदेश जारी करे.