विधान सभा में विश्वास मत खोने के बाद वी. नारायणसामी ने उप राज्यपाल को सौंपा इस्तीफ़ा
पुडुचेरी में जारी राजनीतिक खींचतान के बीच आख़िरकार कांग्रेस- डीएमके सरकार गिर गई है. विधान सभा में मुख्यमंत्री वी. नारायणसामी सदन में विश्वास मत हासिल नहीं कर पाए.
पुडुचेरी की नवनियुक्त उप राज्यपाल तमिलिसाई सौंदरराजन के विधानसभा में बहुमत साबित करने का निर्देश के बाद मुख्यमंत्री वी. नारायणसामी (V Narayanasamy) ने सदन में विश्वास मत प्रस्ताव पेश किया. मुख्यमंत्री ने सदन को बताया कि उनकी सरकार के पास बहुमत है. लेकिन बाद में नारायणसामी की सरकार ने विश्वास मत के दौरान बहुमत खो दिया है. विश्वास मत पेश करने से पहले वी. नारायणसामी ने पूर्ण राज्य की भी मांग की. इसके साथ ही पुडुचेरी की पूर्व उप राज्यपाल किरण बेदी (Kiran Bedi) और बीजेपी की केंद्र सरकार पर उनकी सरकार गिराने का आरोप भी लगाया.
पुडुचेरी: विधानसभा में बहुमत खोने के बाद मुख्यमंत्री वी.नारायणसामी ने उपराज्यपाल को अपना इस्तीफा सौंपा। https://t.co/0Te60EpPZC
— ANI_HindiNews (@AHindinews) February 22, 2021
पुडुचेरी में विपक्ष के सत्तारूढ़ कांग्रेस-डीएमके गठबंधन के बहुमत खोने का दावा करने के बाद उप राज्यपाल ने बहुमत परीक्षण का निर्देश दिया था. जिसके बाद सोमवार को विधान सभा का विशेष सत्र बुलाया गया. कांग्रेस के विधायक के लक्ष्मीनारायणन और डीएमके के विधायक वेंकटेशन के रविवार को इस्तीफा देने के बाद 33 सदस्यों वाली पुडुचेरी विधानसभा में कांग्रेस-डीएमके गठबंधन के विधायकों की संख्या घटकर 11 हो गई थी, जबकि विपक्षी दलों के 14 विधायक हैं.
पूर्व मंत्री ए. नमसिवायम (जो अब अब बीजेपी में हैं) और मल्लाडी कृष्ण राव समेत कांग्रेस के चार विधायकों ने इससे पहले इस्तीफा दिया था, जबकि पार्टी के एक अन्य विधायक को अयोग्य ठहराया गया था. नारायणसामी के करीबी ए जॉन कुमार ने भी इस्तीफा दे दिया था.
सदन में इस्तीफा देने वाले विधायकों पर वी. नारायणसामी ने कहा कि विधायकों को पार्टी के लिए ईमानदार रहना चाहिए. जो विधायक पार्टी से इस्तीफा दे चुके हैं वे लोगों का सामना नहीं कर पाएंगे क्योंकि लोग उन्हें मौकापरस्त कह रहे हैं.
उप राज्यपाल के निर्देश के मुताबिक़ सदन में वोटों की गिनती हाथ उठवाकर की गई और विधानसभा की पूरी कार्यवाही की रिकॉर्डिंग भी हुई.
पुडुचेरी विधान सभा का गणित
33 सदस्यों वाली पुडुचेरी विधान सभा में 30 सदस्य निर्वाचित और 3 सदस्य केंद्र सरकार की तरफ से मनोनित होते हैं. साल 2016 में हुए विधान सभा चुनाव में कांग्रेस ने 15 सीटें जीती थीं और 3 सीटें जीत कर डीएमके ने कांग्रेस सरकार का समर्थन किया था.
कांग्रेस और डीएमके के विधायकों के इस्तीफे के बाद सरकार के पास सदन में संख्या बल 11 रह गया था जबकि विपक्ष के पास 14 विधायक थे.