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शुक्रवार को सरकार और किसानों के बीच बैठक

कृषि कानूनों पर जारी विवाद के बीच सरकार और किसानों के बीच अगले दौर की बैठक पर संशय का बादल छटते जा रहे हैं. केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने साफ कर दिया है कि सरकार और किसानों के बीच बातचीत तय कार्यक्रम के मुताबिक होगी यानी शुक्रवार 15 जनवरी को एक बार फिर किसान प्रतिनिधि और सरकार आमने- सामने बैठेंगे.

कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने मीडिया से बात करते हुए एक बार फिर से यह बात दोहराई कि सरकार खुले मन से किसान नेताओं के साथ बातचीत करने को तैयार है. इसके साथ ही उन्होंने सकारात्मक बातचीत होने की भी उम्मीद जताई.

किसान संगठनों ने भी सरकार के साथ बातचीत करने पर सहमति दी है. हालांकि किसान संगठन अब भी सुप्रीम कोर्ट द्वारा बनाई गई समिति के सामने जाने के लिए तैयार नहीं है. किसान संगठनों को न्यायालय द्वारा बनाई गई समिति के सदस्यों को लेकर आशंका है. समिति के सदस्यों के नाम सामने आने के बाद ही किसान संगठनों ने सबूतों के साथ सदस्यों पर कृषि कानूनों का समर्थन करने का आरोप लगाया है.

सुप्रीम कोर्ट ने बनाई थी समिति

कृषि कानूनों पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कानूनों पर स्टे लगाते हुए चार सदस्यीय समिति का गठन किया था. समिति को किसान को शिकायतों और सरकार के तर्क सुनते हुए अदालत को रिपोर्ट सौंपनी है. इस समिति में भारतीय किसान यूनियन के राष्‍ट्रीय अध्‍यक्ष भूपिंदर सिंह मान, इंटरनेशनल फूड पॉलिसी रिसर्च इंस्‍टीट्यूट के साउथ एशिया डायरेक्‍टर डॉ. प्रमोद कुमार जोशी, कृषि अर्थशास्त्री अशोक गुलाटी और शेतकरी संगठन के प्रमुख अनिल घनवत शामिल थे. हालांकि सदस्यों पर हुए विवाद के बाद भूपिंदर सिंह मान ने समिति से अपना नाम वापस ले लिया है.

सुप्रीम कोर्ट की समिति से अलग हुए भूपिंदर मान

सुप्रीम कोर्ट ने कृषि कानूनों पर विभिन्न पक्षकारों से बातचीत के जरिए रिपोर्ट सौंपने के लिए जिस चार सदस्यीय समिति का गठन किया था उसमें भूपिंदर सिंह मान भी शामिल थे. सदस्यों पर उठे विवाद के बीच भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय अध्यक्ष भूपिंदर सिंह मान ने खुद को समिति से अलग कर लिया है. उन्होंने एक बयान में कहा कि वह समिति में शामिल करने के लिए सुप्रीम कोर्ट के अभारी हैं. लेकिन किसानों के हितों से किसी भी तरह का समझौता नहीं कर सकते. उन्होंने कहा कि खुद किसान होने और यूनियन का नेता होने के नाते किसान संगठनों और आम लोगों की भावनाओं और आशंकाओं के कारण मैं किसी भी पद को छोड़ने के लिए तैयार हूं ताकि पंजाब और देश के किसानों के हितों से किसी भी प्रकार का समझौता नहीं हो. अपने बयान में भूपिंदर सिंह मान ने कहा, ‘मैं समिति से अलग हो रहा हूं और मैं हमेशा अपने किसानों और पंजाब के साथ खड़ा रहूंगा.’पंजाब और हरियाणा के हजारों किसान नए कृषि कानूनों को निरस्त करवाने के लिए पिछले कई सप्ताह से दिल्ली की अलग-अलग सीमाओं पर प्रदर्शन कर रहे हैं.

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