केंद्रीय सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री रविशंकर प्रसाद ने बुधवार को कहा कि ट्विटर मध्यस्थ नियमों का पालन करने में नाकाम रहा और उसने कई मौक़े मिलने के बावजूद ‘जानबूझकर’ इनका पालन ना करने का रास्ता चुना.
उन्होंने कई ट्वीट करके ट्विटर को निशाने पर लिया. जिसमें उन्होंने कहा कि ये ‘हैरान करने वाला’ है कि ख़ुद को स्वतंत्र अभिव्यक्ति के ध्वजवाहक के रूप में पेश करने वाला ट्विटर, जब मध्यस्थ दिशा-निर्देशों की बात आती है तो जानबूझ कर नज़रअंदाज़ करता है.
https://twitter.com/rsprasad/status/1405043033033248776
उन्होंने कहा, “भारत की सांस्कृतिक विविधता भौगोलिक संरचना के हिसाब से है. कुछ ख़ास मामलों में सोशल मीडिया से फैली चिंगारी भी आग का रूप धारण कर सकती है. ख़ास कर फ़र्ज़ी ख़बरों के ज़रिए. इसी को रोकने के लिए हमने नया नियम बनाया है.”
समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक़, साथ ही प्रसाद ने स्वेदशी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘कू’ पर सिलसिलेवार पोस्ट में कहा, “इस बात को लेकर कई सवाल उठ रहे हैं कि क्या ट्विटर संरक्षण प्रावधान का हक़दार है. इस मामले का सामान्य तथ्य ये है कि ट्विटर 26 मई से लागू हुए मध्यस्थ दिशा-निर्देशों का पालन करने में विफल रहा है.”
दरअसल संरक्षण (हार्बर) प्रावधान, एक क़ानून या विनियम का प्रावधान है जो निर्दिष्ट करता है कि किसी निश्चित आचरण को, दिए गए नियम का उल्लंघन करने वाला ना माना जाए.
ट्विटर पर उन्होंने लिखा, “ये हैरान करने वाली बात है कि ट्विटर देश के क़ानून की ओर से अनिवार्य व्यवस्था स्थापित करने से इनकार कर अपने उपयोगकर्ताओं (यूज़र्स) की शिकायतें दूर करने में नाकाम रहा है. इसके अलावा, अपनी पसंद-नापसंद के आधार पर ट्वीट को ‘मैनिपुलेटेड मीडिया’ (छेड़छाड़ किया हुआ) क़रार देता है.”
एक मुस्लिम बुज़ुर्ग के चर्चित मामले को लेकर उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश में जो कुछ भी हुआ वो फ़र्जी ख़बरों से निपटने के ट्विटर के ‘‘मनमानेपन’’ का उदाहरण था.
उन्होंने कहा, “जबकि ट्विटर अपने तथ्य-जांच तंत्र के बारे में अति उत्साही रहा है, तब भी उत्तर प्रदेश जैसे कई मामलों में कार्रवाई करने में उसकी विफलता चौंकाने वाली है और साथ ही ग़लत सूचना से निपटने में उसकी असंगति की ओर इशारा करती है.”
हाल में गाज़ियाबाद के लोनी में एक बुजुर्ग व्यक्ति के साथ कथित रूप से मारपीट के मामले में ट्विटर के ख़िलाफ़ एफ़आईआर दर्ज की गई है.